Waqf Bill Important Changes Explained; BJP TDP JDU | Muslim Property Law | आज का एक्सप्लेनर: वक्फ बिल पर नीतीश-नायडू ने अपनी बात मनवाई, क्या इससे मुसलमानों का फायदा; सरकार क्यों राजी हुई | Dainik Bhaskar


AI Summary Hide AI Generated Summary

Key Changes in the Waqf Bill

The Waqf amendment bill, initially introduced on August 8, 2024, underwent substantial changes following its referral to a Joint Parliamentary Committee (JPC). The JPC, comprising members from the ruling NDA and opposition parties, incorporated 14 key amendments, largely based on suggestions from MPs Chandrababu Naidu and Nitish Kumar's parties.


Impact of Amendments

  • 'Waqf by User' provision retained: This ensures properties historically used for religious purposes retain their Waqf status, even if lacking formal documentation. This addresses concerns about legal disputes for unregistered Waqf properties.
  • State government officers as final authority: This replaces district collectors with state officials for final decision on disputed Waqf properties, thus reducing the potential for government control over Waqf boards.
  • Flexible registration deadline: The 6-month registration deadline on a central portal is made flexible, allowing the Waqf Tribunal to extend deadlines based on justified reasons.
  • Inclusion of Muslim law expert in tribunals: This ensures a deeper understanding of Islamic jurisprudence in dispute resolution.
  • More non-Muslim members in Waqf boards: While maintaining at least two non-Muslim members, the amendment allows more non-Muslim members through ex-officio appointments.

Political Implications

The government's acceptance of these amendments is partly due to the need for political alliances to pass the bill. It aims to appease Nitish Kumar and Chandrababu Naidu's parties, which hold significant seats and influence in their respective states and consider significant Muslim vote banks. The amendments also reflect the political strategies of the involved parties, particularly in the context of upcoming state elections.

Sign in to unlock more AI features Sign in with Google

8 अगस्त 2024 को लोकसभा में पेश हुआ वक्फ संशोधन बिल और 2 अप्रैल 2025 को पेश बिल में काफी अंतर है। मूल ड्राफ्ट में 14 बदलावों के बाद इसे दोबारा पेश किया गया है। जिनमें ज्यादातर अहम सुझाव JPC में शामिल चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार के सांसदों ने दिए थे

.

नीतीश और नायडू ने वक्फ संशोधन बिल पर मोदी सरकार से अपनी कौन-सी बातें मनवाईं, इसका क्या इम्पैक्ट होगा और इसके पीछे की मुस्लिम पॉलिटिक्स क्या है; जानेंगे आज के एक्सप्लेनर में...

सवाल-1: वक्फ संशोधन बिल में JPC के कौन-से 14 सुझाव शामिल किए गए हैं?

जवाबः 8 अगस्त 2024 को लोकसभा में वक्फ संशोधन बिल पेश हुआ था। इस पर विपक्ष के विरोध के बाद बिल का ड्राफ्ट संसद की 31 सदस्यीय जॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (JPC) को भेज दिया गया। JPC में 19 NDA के सांसद, 11 विपक्षी दलों के सांसद और AIMIM के सांसद असदुद्दीन ओवैसी शामिल थे।

27 जनवरी 2025 को JPC ने ड्राफ्ट को मंजूरी देकर JPC में शामिल NDA सांसदों के सुझाए 14 संशोधनों को स्वीकार किया, जबकि विपक्षी सांसदों के संशोधनों को खारिज कर दिया। 19 फरवरी को मोदी कैबिनेट ने इन्हें मंजूरी दे दी और 2 अप्रैल 2025 को इसे दोबारा लोकसभा में पेश किया गया।

अब इन 14 में कुछ प्रमुख बदलावों को समझते हैं, जिन्हें JPC में शामिल नीतीश और नायडू के सांसदों ने सुझाया…

सवाल-2: 'वक्फ बाय यूजर' प्रावधान को रेस्ट्रोस्पेक्टिवली नहीं हटाया जाएगा, इसका क्या मतलब है?

जवाबः अगर कोई संपत्ति लंबे समय से धार्मिक या चैरिटी में इस्तेमाल होती थी, तो बिना औपचारिक दस्तावेज के भी उसे वक्फ माना जाता था। जैसे- मस्जिदें वक्फ प्रॉपर्टी हैं, भले ही उनके पास वक्फनामा न हो। इसे ‘वक्फ बाय यूजर’ प्रावधान कहा जाता था।

वक्फ संशोधन विधेयक के मूल ड्राफ्ट में इस ‘वक्फ बाय यूजर’ प्रावधान को रेट्रोस्पेक्टिवली यानी कानून लागू होने से पहले से हटाने की बात कही गई। इसका मतलब हर वक्फ प्रॉपर्टी जिसके पास वैध दस्तावेज नहीं, उन्हें वक्फ प्रॉपर्टी नहीं माना जाएगा।

कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने कहा था कि लगभग 90% वक्फ प्रॉपर्टीज रजिस्टर्ड नहीं हैं। कानूनी एक्सपर्ट फैजान मुस्तफा के मुताबिक, 'कई वक्फ 500-600 साल पुराने हैं। ऐसे में उनके पक्के दस्तावेज नहीं हो सकते हैं। मुस्लिमों का डर है कि उनके कब्रिस्तान, मस्जिद और स्कूल अब कानूनी विवादों में फंस जाएंगे।’

JPC में शामिल चंद्रबाबू नायडू की TDP के सांसद जीएम हरीश बालयोगी और लावु श्रीकृष्ण देवरायलु ने इसमें बदलाव का सुझाव दिया, जिसे स्वीकार कर लिया गया। अब वक्फ बाय यूजर प्रावधान हटाने का नियम पुराने मामलों पर लागू नहीं होगा।

यानी जो प्रॉपर्टीज नया वक्फ एक्ट लागू होने से पहले ‘वक्फ बाय यूजर’ के तहत वक्फ प्रॉपर्टी हैं, वे वक्फ बनी रहेंगी, बशर्ते उन पर कोई विवाद न हो या उन्हें सरकारी प्रॉपर्टी न माना जाए। इससे गैर-रजिस्टर्ड वक्फ प्रॉपर्टीज के कानूनी विवाद में पड़ने की आशंका कम होती है।

2 अप्रैल 2025 को लोकसभा में नया वक्फ बिल पेश किए जाते समय श्रीनगर की एक मस्जिद में नमाज पढ़ते लोग (फोटो- PTI)

सवाल-3: ‘वक्फ प्रॉपर्टी तय करने के लिए जिला कलेक्टर की जगह राज्य सरकारें अधिकारी नामित करेंगी’, इस बदलाव का क्या मतलब है?

जवाब: पहले एक सर्वे कमिश्नर यह तय करता था कि कोई विवादित प्रॉपर्टी वक्फ है या सरकार की। वक्फ संशोधन बिल के मूल ड्राफ्ट में सर्वे कमिश्नर की जगह जिले के कलेक्टर को जिम्मेदारी देने की बात कही गई। विपक्षी दलों और एक बड़े मुस्लिम वर्ग ने इसका विरोध किया। उनका तर्क था कि इस प्रावधान से वक्फ बोर्ड पर सरकार का नियंत्रण बढ़ेगा।

JPC में TDP सांसदों ने सुझाव दिया कि डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर की जगह राज्य सरकार का एक सीनियर ऑफिसर नामित किया जाए। JPC ने इस बदलाव को मान लिया। अब ये ऑफिसर वक्फ की उन प्रॉपर्टीज के मामले में फाइनल अथॉरिटी होगा, जिनको लेकर सरकार और वक्फ में विवाद है। उसकी फाइनल रिपोर्ट के बिना, ऐसी प्रॉपर्टीज वक्फ की प्रॉपर्टी नहीं कही जा सकतीं। इससे वक्फ के मामलों में ट्रिब्यूनल के अधिकार कम हो गए और राज्य सरकार की भूमिका प्रभावी हो गई है।

सवाल-4: ‘सेंट्रल पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन के लिए अब 6 महीने की डेडलाइन जरूरी नहीं’, इस बदलाव का क्या मतलब है?

जवाब: बिल के मूल ड्राफ्ट में यह प्रावधान किया गया था कि नया कानून लागू होने के 6 महीने के अंदर एक सेंट्रल पोर्टल पर सभी वक्फ प्रॉपर्टीज का रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी होगा। 6 महीने बाद प्रॉपर्टी को लेकर कानून के तहत कोर्ट में कोई सुनवाई नहीं की जा सकेगी।

JDU के सांसद दिलेश्वर कामैत ने इस प्रावधान में संशोधन का सुझाव दिया था, जिसे JPC ने स्वीकार कर लिया।

अब वक्फ ट्रिब्यूनल किसी वक्फ प्रॉपर्टी के रजिस्ट्रेशन की टाइमलाइन बढ़ा सकता है। इसके लिए प्रॉपर्टी के मुतवल्ली यानी केयरटेकर को ट्रिब्यूनल के सामने इसकी उचित वजह बतानी होगी। हालांकि, ये वजहें क्या हो सकती हैं और 6 महीने की टाइम लिमिट को कितना बढ़ाया जा सकता है, यह साफ नहीं है, इसे तय करने का निर्णय ट्रिब्यूनल पर छोड़ा गया है।

सवाल-5: ‘वक्फ ट्रिब्यूनल में अब मुस्लिम लॉ एक्सपर्ट होना जरूरी’, ये बदलाव क्यों शामिल किया गया?

जवाब: वक्फ संशोधन बिल के मूल ड्राफ्ट में कहा गया था कि वक्फ ट्रिब्यूनल में एक जिला जज इसका चेयरपर्सन होगा और एक जॉइंट सेक्रेटरी रैंक का राज्य सरकार का एक अधिकारी शामिल होगा।

इसमें सुझाव दिया गया कि मुस्लिम कानून और मुस्लिमों के न्यायशास्त्र का जानकार व्यक्ति भी ट्रिब्यूनल का सदस्य होना चाहिए। वक्फ का कॉन्सेप्ट पूरी तरह इस्लाम की धार्मिक परंपरा से निकल कर आता है। इसलिए ऐसे मामलों में इस्लामी मामलों के जानकार के होने से विवादों के निपटारे में आसानी होगी। इस बदलाव को भी स्वीकार किया गया।

सवाल-6: ‘वक्फ बोर्ड में दो से ज्यादा गैर-मुस्लिम सदस्य हो सकते हैं’ इसके क्या मायने हैं?

जवाब: बिल के मूल ड्राफ्ट में यह प्रावधान था कि राज्यों और सेंट्रल वक्फ बोर्ड में कम से कम दो गैर-मुस्लिम सदस्य होंगे। JPC ने इस प्रावधान को जस का तस रहने दिया, साथ ही यह भी कहा कि ये दोनों नॉन-मुस्लिम सदस्य एक्स-ऑफिशियो मेंबर्स यानी पदेन सदस्यों के अलावा होंगे। पदेन सदस्य मुस्लिम हो भी सकते हैं और नहीं भी। अगर ये पदेन सदस्य नॉन-मुस्लिम होते हैं तो JPC की मंजूरी के बाद बोर्डों में कुल गैर-मुस्लिमों की संख्या 2 से ज्यादा हो जाएगी।

सवाल-7: क्या मोदी सरकार नायडू और नीतीश के सुझाव मानने को मजबूर है?

जवाब: BJP की अगुआई वाली केंद्र सरकार दो वजहों से TDP और JDU के सुझावों को दरकिनार नहीं कर सकती…

  • वक्फ बिल को पास कराने के लिए सरकार को लोकसभा और राज्यसभा में सामान्य बहुमत की जरूरत है।
  • NDA की केंद्र सरकार में BJP को अपनी दम पर बहुमत नहीं हासिल है, जिन सहयोगी दलों के दम पर सरकार बनी है, उनमें TDP और JDU के पास सबसे ज्यादा सीटें हैं।

सवाल-8: नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू मुस्लिमों को क्यों साधना चाहते हैं?

जवाब: इसकी वजह बिहार और आंध्रप्रदेश की राजनीतिक स्थितियां हैं-

बिहार में इसी साल विधानसभा चुनाव

  • बिहार में इसी साल विधानसभा चुनाव हैं। 2023 के जातिगत जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक, राज्य में 17.7% मुस्लिम हैं। बिहार में सरकार बनाने के लिए इस वोट बैंक को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
  • CSDS-लोकनीति के पोस्ट-पोल सर्वे 2020 के मुताबिक, RJD और कांग्रेस के महागठबंधन को 75% मुस्लिम वोट मिले थे। वहीं, BJP और JDU वाले NDA को 5% और चिराग पासवान की पार्टी LJP (रामविलास) को 2% मुस्लिम वोट मिले।
  • बिहार विधानसभा की 243 में से 32 सीटों पर 30% से ज्यादा वोटर्स मुस्लिम हैं। यानी ये 32 मुस्लिम बहुल सीटें बहुमत का 122 सीटों का आंकड़ा हासिल करने में मददगार होती हैं।
  • इन 32 में से 7 सीटों पर BJP लगातार तीन बार से जीत रही है। 2020 के चुनाव में BJP ने 12 और JDU ने 6 मुस्लिम बहुल सीटें जीतीं थीं, जबकि कांग्रेस और RJD को 5-5 सीटें मिलीं थीं।
  • जानकारों का मानना है कि बिहार चुनावों के मद्देनजर JDU मुस्लिम वोटर्स को नाराज नहीं कर सकती, इसलिए वह ऐसा कोई मौका नहीं छोड़ती, जहां उससे मुस्लिम वोटर्स को साधने की जरूरत महसूस होती है।

आंध्रप्रदेश में 75% मुस्लिम TDP के वोटर

  • आंध्रप्रदेश में चंद्रबाबू नायडू की अगुआई वाली TDP और BJP-JSP की गठबंधन सरकार है। इस अलायंस को 2024 में 175 में से 147 सीटें मिली थीं।
  • आंध्रप्रदेश में करीब 75 लाख यानी कुल आबादी के करीब 9.5% मुस्लिम वोटर्स हैं। करीब 20 सीटों पर 15 से 20% मुस्लिम वोटर्स हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2024 के चुनाव में पूरी प्रदेश में करीब 75% मुस्लिम वोट अकेले टीडीपी को मिला था।
  • BJP के साथ गठबंधन के बावजूद TDP इस वोट शेयर को लूज नहीं करना चाहती। इसीलिए वक्फ बिल के मामले पर नायडू ने जमात-ए-इस्लामी हिंद और मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से मुलाकात की और कानूनी एक्सपर्ट्स से भी चर्चा की।
  • कहा जा रहा है कि TDP के प्रभाव के चलते ही JPC ने वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम मेंबर शामिल करने का निर्णय केंद्र के बजाय राज्य सरकार पर छोड़ा है, क्योंकि आंध्रप्रदेश में मुस्लिम इस नियुक्ति का विरोध कर रहे थे।

-------------------------------

वक्फ बिल से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें...

आज का एक्सप्लेनर: वक्फ कानून में 14 बड़े बदलाव, महिलाओं और गैर-मुस्लिमों की वक्फ बोर्ड में होगी एंट्री; जानें मुस्लिम क्यों हैं नाराज

भारत में रेलवे और रक्षा मंत्रालय के बाद सबसे ज्यादा जमीन वक्फ बोर्ड के पास है। करीब 9.4 लाख एकड़। इतनी जमीन में दिल्ली जैसे 3 शहर बस जाएं। इसी वक्फ बोर्ड से जुड़े एक्ट में बदलाव के लिए केंद्र सरकार आज संसद में बिल पेश करेगी। विपक्ष के नेता और मुसलमानों का एक बड़ा तबका इसके विरोध में हैं। पूरी खबर पढ़ें...

🧠 Pro Tip

Skip the extension — just come straight here.

We’ve built a fast, permanent tool you can bookmark and use anytime.

Go To Paywall Unblock Tool
Sign up for a free account and get the following:
  • Save articles and sync them across your devices
  • Get a digest of the latest premium articles in your inbox twice a week, personalized to you (Coming soon).
  • Get access to our AI features

  • Save articles to reading lists
    and access them on any device
    If you found this app useful,
    Please consider supporting us.
    Thank you!

    Save articles to reading lists
    and access them on any device
    If you found this app useful,
    Please consider supporting us.
    Thank you!